Famous Temples: पटना सिटी सबलपुर मे मुगल काल में बना ऐतिहािसक विष्णु मंदिर, मान सिंह के युद्ध से जुड़ा है इतिहास!

 Famous Temples Of Patna: वैसे तो राजधानी पटना में कई ऐतिहासिक जगह है, जिन्हें देखने लोग दूर-दराज के क्षेत्रों से आते रहते हैं. पर क्या आप सबलपुर के इस ऐतिहासिक विष्णु मंदिर के बारे में जानते हैं?


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उधव कृष्णपटना. पटना के पूर्वी भाग में सबलपुर-फतुआ मुख्य मार्ग पर गंगा नदी के तट से सटे हुए इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. किवदंतियों की मानें तो इस मंदिर की स्थापना मानसिंह की मां रानी भगवती बाई के द्वारा की गई थी. स्थानीय लोगों का मत है कि मानसिंह जब युद्ध पर थे तब उनकी सलामती और विजय श्री के लिए उनकी मां ने पूर्वी पटना के इस गंगा तट पर लंबे समय तक तपस्या की थी. उसी समय इस विष्णु मंदिर की नींव डाली गई थी. इस मंदिर का प्रांगण काफी भव्य और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ है. तरह-तरह के पेड़- पौधे, गुम्बद, पताका, यज्ञ वेदी, गंगा का अद्‌भुत नजारा इस मंदिर की शोभा में चार चांद लगाते हैं.



यहां करवाई जाती है शादीविष्णु मंदिर के पुजारी अर्जुन पांडेय बताते हैं कि यहां बड़ी संख्या में लोग शादी-विवाह जैसे कार्यक्रम के लिए भी आते हैं. मंदिर का प्रांगण बड़ा होने की वजह से यहां एक बार में कई शादियां होती हैं. लग्न में यहां वर और वधू पक्ष के लोगों की भीड़ देखने को मिलती है. अर्जुन पांडेय बताते हैं कि यहां शादी करने का विशेष महत्व है, इसलिए लोग यहां आते हैं. पौराणिक तरीके से यज्ञ वेदी और मंत्रोच्चारण के साथ यहां वर, वधू का पाणिग्रहण करते हैं. एक शादी में सम्मिलित होने आई अमृता कुमारी बताती हैं कि मात्र 500 रुपये में यहां शादी का कार्यक्रम सम्पूर्ण हो गया.


सर्वतोभद्र मंडल में स्थित हैं भगवान विष्णुइस ऐतिहासिक मंदिर के पुजारी अर्जुन पांडेय की मानें तो ये विष्णु मंदिर बिहार का ऐसा एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान विष्णु सर्वतोभद्र मंडल में स्थापित हैं. वे कहते हैं कि सर्वतोभद्र मंडल में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास माना जाता है, जिसमें 57 प्रमुख होते हैं. पुजारी अर्जुन पांडेय आगे कहते हैं कि इस मंदिर के बारे में वे अपने पूर्वजों से भी सुनते आएं हैं कि ये काफी पुराना है.


कौन थे राजा मान सिंह?राजा मान सिंह का जन्म 21 दिसम्बर, 1550 को राजस्थान के आमेर में हुआ था. वो राजा भगवानदास के पुत्र थे. बुद्धिमानी, साहस और अकबर के राज्य के स्तम्भों और सरदारों में वो सबसे आगे थे. अकबर से उनके संबंध बहुत करीबी थे, जोधाबाई उनकी बहन थीं. इन्हीं नजदीकियों के चलते बादशाह अकबर उन्हें कभी फर्ज तो कभी मिर्जा राजा के नाम से पुकारते थे. कहते हैं कि राजा मानसिंह की 1500 रानियां थीं, लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं होती.



मुख्य तौर पर इतिहासकार उनकी रानियां मानते हैं. लेकिन कुछ इतिहासकार ये भी कहते हैं कि उनकी बहुत सी रानियां थीं. मुस्लिम इतिहासकारों ने लिखा है ‘हिजरी 1024 सन 1615 में मानसिंह की बंगाल में मृत्यु हुई’. दूसरे इतिहासकारों के विवरण से पता चलता है कि मानसिंह उत्तर की तरफ खिलजी बादशाह से युद्ध करने गए थे, वहां 1617 में वे मारे गए. उनके देहांत के बाद उनका बेटा भावसिंह गद्दी पर बैठा.


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